Sunday, August 15, 2010

हम इतने भी भोले नहीं...."मंत्री जी"

भोपाल गैस त्रासदी पर आखिर आदरणीय ने चुप्पी तोड़ी .... कापते होठों से निकलते सधे बयानने एक बार फिर साबित किया की आखिर दो दो विवादस्पद महारथी उन्हें अपना गुरु क्यों मानते थे ... लेकिन इस बार गुरूजी चक्कर मैं फंस गए... गुरूजी ने खुद ही अपने बयान से यह साबित कर दिया कि वे राजीव गाँधी के विश्वासपात्र नहीं थे ... जाहिर है अगर वे विश्वासपात्र होते तब एंडरसन और केंद्रीय गृह विभाग के बीच उस वक्ता पक रही खिचड़ी की जानकारी अपने तत्कालीन आका को देते ... लेकिन अपनी ही जुबानी उन्होंने राजीव गाँधी को यह बात नहीं बताई और एंडरसन को भोपाल से ravana कर दिया ..... लेकिन yaha बात sif विश्वासपात्र hone की नहीं है... kya यह sahaj rup से माना जा सकता है की कोई कांग्रेसी बिना उनकी सलाह के इतना बड़ा फैसला ले सकता था ..... सवाल अब भी अपनी जगह मुस्तैदी से खड़ा है .... जनता को अब भी जवाब चाहिए ....