आप की तमाम बातों से कहीं न कहीं देश के सारे हालात खुद ब खुद धरातल पर आ जाते हैं। चाहे सानिया की शादी हो या आई पी एल के छक्के सभी को इंतज़ार है चंद घंटों में निकलने वाले फैसलों का। सानिया की सनसनी अब उसके रैकट से तो जवाब दे ही चुकी है ऐसे में शोएब ने सानिया के लिए ऐश का काम किया है... सुर्खियाँ बटोरने के लिये स्टार किस हद तक जा सकते हैं ? आज के हालात कहीं न कहीं उस मंज़र को तफ्शील से बयां कर रहे हैं। महाराष्ट्र के किसान आज भी अपनी किसानी को लेकर उसी जद्दोज़हद में मशगूल हैं, आत्महत्या की दरें आज भी उसी तरह कायम हैं मगर देश का परम उपभोक्ता कहा जाने वाला मध्यमवर्ग इन खबरों में मशगूल है... मतलब ये नहीं कि महंगाई की मार झेलनेवाले उपभोक्ताओं ने रसोई में जाना छोड़ दिया? हाँ इस बात पर पूरा समर्थन है कि लोगों की निगाह अपनी बेटियों से अधिक सानिया की शादी को लेकर बेज़ार हुए जा रही हैं? सानिया के बयां और शाहिद की तानाखोरी ने इस पूरे रंगमहल में जैसे आग सी लगा राखी है? अपने औकात की दो रोटियाँ खा लेने के बाद देश का हर वर्ग उसी तरह छोटे रूपहले पर्दे से चिपक जाता है जैसे रविवार का रिश्ते बताता अखबार....
सानिया भले ही तुम बेगानी हो जाओ या शोएब को हमारा करने पर मजबूर कर जाओ मगर इस देश का इतिहास गवाह है कि हमने दुश्मनों को भी गले लगा कर वह इज्ज़त बक्शी है जिस कि मिसाल आज दुनिया में कहीं नहीं है.... रही बात सुर्ख़ियों की तो हम हिन्दुस्तानी जलते मुकाम से लेकर ढहते मकान तक इसी तरह हर मौकों का इसी माकूल अंदाज़ में जवाब देते हैं...... भले ही दुनिया इसे हमारा भोलापन समझे कोई ऐतराज़ नहीं।
संजय उपाध्याय.
Subscribe to:
Posts (Atom)