Friday, December 31, 2010
कानून के हाथ कितने लम्बे .....
कहावत बड़ी पुरानी है .... कानून के हाथ बड़े लम्बे होते है ... लेकिन कितने लम्बे अब यह सोचने का वक्त आ गया है... इस जुमले पर अब इसलिय फिर से विचार मंथन की जरूरत महसूस होने लगी है क्योकि देश की एक सबसे बड़ी संस्था ने ऐसा सोचने पर मजबूर कर दिया है ... सी बी आई ने आयुषी हत्याकांड की जाँच आगे जरी रखने में असमर्थता जाता दी है ... सी बी आई का कहना है कि आगे कोई बात सूझ नहीं रही है ... सबूत आपस में एक दुसरे को ही मूह सा चिड़ाने लगे है ... अब ऐसे में और भी ज्यादा भद्दकरने से बेहतर है कि दोनों हाथ खड़े कर दिए जाएँ ... सी बी आई जैसी सुप्रीम संस्था का ऐसा निरिहपन कई मायनो में चौकाने वाला है ... सी बी आई ने ऐसा बयां जारी कर ना केवल कानून के बौनेपन कि ओर इशारा किया है बल्कि कही ना कही उन संसथाओ कि नैतिकता पर भी वार किया है जो इन्हें अपना आदर्श मानती है... सी बी आई के इस बयां के बाद नाकेवल एक सनसनी खेज मर्डर मिस्त्री कि maut हो गई है बल्कि उन लाखों करोडो देशवासियों को भी तगादा मानसिक आघात पहुंचा है जो इस पूरे मामले में सी बी आई कि ओर आशा भरी निगाहों से देख रहे थें ... बहार हाल अब यह आसानी से कहना लाजमी न होगा कि कानून के हाथ बड़े लम्बे होतें है ....
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