Monday, April 5, 2010

बात तो अपनी ही है, बांटना आप के साथ चाहता हूँ। चाहता हूँ कि मेरी हर बातों पर आप की वो प्रतिक्रया मिले जो मेरी लेखनी को और भी धारदार बनाने में सहयोग दें.... हर सर-सामायिक मसलों पर मैं मुखातिब होता रहूंगा।

1 comment:

  1. स्वागत है, सीखते सीखते ही कुछ करना आता है, अभी समय है बहुत कुछ कर गुजरने का! वक्त है कुछ कर के दिखाओ! तुम से बहुत उम्मीदें हैं.
    कमल.

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