Wednesday, February 2, 2011

बेहद शर्मनाक

शर्मनाक, सचमुच बेहद ही बेहयाई भरा आचरण .... मुख्य सतर्कता आयुक्त पी जे थामस के मामले में देश की केंद्रीय सरकार का संपूर्ण व्यक्तित्व निश्चित ही कुछ इस प्रकार की श्रेणी में ही नजर आ रहा है ... मुख्य सतर्कता आयुक्त जैसे महत्वपूर्ण और साथ ही गरिमा युक्त पद पर पी जे थामस की नियुक्ति को इतना वक्त निकल जाने के बाद आज शायद सरकार की याददाश्त भी धुधली हो चली है... याददाश्त के धुधली होने की वजह भी इतनी मजबूरी भरी है की यदि ऐसे में कुछ याद आ भी जाए तो उसे मानने की जिगर गवाही नहीं देता... पामोलिन स्केंडल में थामस का नाम शुमार होने के बाद भी उन्हें इस पद से नवाजे जाने की यु पी ए सरकार की ऐसी कौन सी मजबूरी थी इस बात का खुलासा तो अब तक नहीं हो पाया है लेकिन इस मसले पर देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था को लगातार गुमराह किये जाने के केंद्र सरकार की नियत से तो इतना साफ हो चुका है कि सरकार कही ना कही दबंगई के साफ मूड में है ... थामस पर आरोप की जानकारी को सिरे से ख़ारिज करने वाली सरकार के एक प्रभावशली मंत्री पी चिताम्बरम कि इस मसले पर स्वीकारोक्ति के बाद यह पूरा मामला खुद ही आईने कि तरह साफ हो जाता है ... चिदंबरम की अपने ओरसे यह स्वीकारोक्ति भी उस वक्त आती है जब सी वी सी कि नियुक्ति के लिए बनाये गए पैनल कि एक सदस्य सुष्मस्वराज इस पूरे मामले का कच्चा चिट्टा खोलने के लिए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करने कि तैयारी कर लेती है , जिन्होंने उस वक्त आरोपों से घिरे थोमस कि नियुक्ति पर सवाल खड़े किये थे ... संपूर्ण उत्तरदायित्व के सिद्धांत पर काम करने वाले मंत्रिमंडल का इसे अब कौन सा रूप कहा जाए जहा कि मंत्रिमंडल के प्रभावशली सहयोगियों के बीच ही परस्पर मतान्तर है और वह भी सर्वोच्च न्यायिक संस्था के अत्यंत ही तीखे और सरकार के सार्वजनिक उत्तरदायित्व जैसे बेहद गंभीर सवाल पर... इस नाटकीय घटनाक्रम ने जाहिर तौर पर सरकार के चेहरे को तो बेनकाब कर ही दिया है लेकिन देखना यह होगा कि सरकार के इस बेहद ही गैर जीम्मेदाराना कृत्य को न्याय का सर्वोच्च मंदिर किस रूप में लेता है ... यह न्याय का वही मंदिर है जिसकी ओर देखकर शायद सूर्यनमस्कार भी आम आवाम के लिए अवमानन कि श्रेणी में आता है ... निःसंदेह सुर्खिया रोज ही बदल जाया करती है ... मगर मिसाल हमेशा कायम रहा करती हैं ... उम्मीद है कि सरकार की यह बेहयाई कभी मिसाल नहीं बन पायेगी...

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